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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व read more मे ॥ ७ ॥